श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह- एक नए युग का ऐतिहाससक शुभारम्भ

22 जनवरी 2024 को, अयोध्या की प्राचीन नगरी में एकता, श्रद्धा, भक्तत और समरसता का अववस्मरणीय संगम देखा गया। जहां देश के प्रत्येक कोने से, भभन्न भभन्न पष्ृठभूभमयों से, सहस्रों राम-भतत भव्य राम मंददर में श्री रामलला की प्राण प्रततष्ठा के साक्षी बनने के भलए एकत्र हुए। श्री रामलला के आगमन के नाद से भारत वर्ष में ही नहीं, अवपतुसम्पूणष ववश्व में एक नवोत्साह की लहर का संचार हुआ।

भारत के इततहास में इस तरह का भव्य आयोजन कदाचचत ही हुआ होगा, क्जसमें सूक्ष्म स्तरीय योजना एवं वहृ द् स्तरीय समायोजन का अनोखा मेल देखने को भमला। अयोध्या में भारत और सनातन सभ्यता की प्रत्येक ध्वतन, प्रत्येक भावना और प्रत्येक परम्परा को प्रभुश्रीराम के छत्र में प्रततछाया भमली। लक्षद्वीप और अंडमान के एकांत द्वीपों से लद्दाख के सुदरू पवषतों तक, भमजोरम एवं नागभूभम के हररत वनों से लेकर मरुभूभम की रेत तक, भारत के 28 राज्य एवं 8 कें द्र शाभसत प्रदेश इस महा-आयोजन के साक्षी बने और भारत की सभी भार्ाओं ने कहा की ‘राम सभी के हैं।’

भसतम्बर, 2023 से ही तनमंत्रत्रतों की सूची बनाने से लेकर उनको बुलाने की व्यवस्था का चचतं न प्रारम्भ हो गया था सभी को तनमंत्रण देने का क्रम डडक्जटल पत्राचार से प्रारम्भ हुआ, क्जसके बाद सभी तनमंत्रत्रतों को राष्र के सुदरू क्षेत्रों में जाकर भी व्यक्ततगत रूप से तनमंत्रण ददए गए। अंतत: सभी तनमंत्रत्रतों को एक व्यक्ततगत कोड ददया गया। कायषक्रम का स्वरूप पूणषतय: धाभमषक, आध्याक्त्मक और सामाक्जक रखा गया। इस हेतुसभी राष्रीय और प्रांतीय दालों के राष्रीय अध्यक्षों और गहृ प्रदेश के मुख्यमंत्री के अततररतत ककसी केंद्रीय मंत्री अथवा मुख्य मंत्री को तनमंत्रण नहीं ददया गया। उस ददन आमंत्रत्रत ववभशष्ठ अततचथयों में यह भी एक चचाष का ववर्य था।

आमंत्रत्रत महानुभावों में 10 रुपए से लेकर करोडों तक का दान करने वाले सभी दान-दाता वगों का प्रतततनचधत्व था, राष्र और सनातन सभ्यता के ववभभन्न उद्गम स्थलों से तनकलने वाली 131 प्रमुख और 36 जनजातीय; नवीन एवं प्राचीन धाभमषक परम्पराओं का प्रतततनचधत्व था। इनमे सभी अखाडे, कबीर पंथी, रैदासी, तनरंकरी, नामधारी, तनहंग, आयष समाज, भसंधी, तनम्बाकष, पारसी धमषगुरु, बौद्ध, भलंगायत, रामकृष्ण भमशन, सत्राचधकर, जैन, बंजारा समाज, मैतेई , चकमा, गोरखा, खासी, रामनामी आदद प्रमुख परम्पराएँसक्म्मभलत थी। अनुसूचचत जातत, अनुसूचचत जन-जातत, घुमंतूसमाज (Nomad Tribes) के प्रमुख जनों का भी प्रतततनचधत्व था। ववभभन्न मत-पंथ जैसे इस्लाम, ईसाई, पारसी का भी यहाँ प्रतततनचधत्व था। 1949 में रामलला के पक्ष में तनणषय लेने वाले क्जला न्यायाधीश श्री नय्यर के पररवार के साथ साथ तत्कालीन Duty Constable अब्दलु बरकत, क्जन्होंने गवाही दी थी, उनके पररवार को भी आमंत्रत्रत ककया गया था। रामलला के ववरुद्ध मुक़दमा लडने वाले पररवार के साथ तत्कालीन अचधकाररयों के पररवारों को भी तनमंत्रण ददया गया था। रामजन्मभूभम आंदोलन का नेतत्ृव करने वाले और इस आंदोलन में बभलदान हुए भततों के पररवार के सदस्य, रामजन्मभूभम की न्यातयक प्रकक्रया में सहभागी अचधवतता-गण भी इस आयोजन में सक्म्मभलत हुए। भारत की माननीया राष्रपतत और माननीय उप-राष्रपतत जी के साथ पूवष राष्रपतत एवं प्रधान-मंत्री भी इस कायषक्रम में आमंत्रत्रत थे। भारत की सुरक्षा में तत्पर तीनों सेनाओं के सेवातनवत्तृ सेनाध्यक्ष और परमवीर चक्र ववजेता भी यहाँथे और भारत को चंद्रमा तक ले जाने वाले इसरो के वैज्ञातनकों से लेकर भारतीय कोववड-वैतसीन बनाने वाले वैज्ञातनक भी यहाँ थे। उच्चतम न्यायालय के तीन पूवष मुख्य न्यायाधीश सदहत अनेक पूवष न्यायाधीश, सेवातनवत्तृ प्रशासतनक पुभलस एवं अन्य अचधकारी, ववभभन्न देशों में रहे भारत के राजदतू ों से लेकर बुद्चधजीवी, भशक्षाववद, नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न, पद्म ववभूर्ण, पद्म भूर्ण, पद्म श्री और मैग्सेसे पुरस्कार के साथ साथ सादहत्य अकैडमी पुरस्कार सेसम्मातनत महानुभाव भी सक्म्मभलत हुए। प्रख्यात अचधवतता, चचककत्सक, CA, समाचार पत्रों और TV चैनल्स के संचालक/सम्पादक, प्रख्यात सोशल-मीडडया इंफ्लल्युएंससष आदद के साथ साथ देश के बडे औद्योचगक पररवार भी इसकायषक्रम में उपक्स्थत थे। भारत के प्रमुख राज पररवारों के सदस्यों से लेकर अनेक खेलों में भारत का प्रतततनचधत्वकरने वाले खखलाडी; चचत्रकारी, भशल्पकारी, गायन, लेखन-सादहत्य, वादन, नत्ृयकला आदद लभलत कलाओं के कलाकार; दहंदी, कन्नड, मलयालम, तभमल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, बंगाली, ओडडया, असभमया, भोजपुरी, पंजाबी एवं हररयाणवी क़िल्म उद्योग की अनेक हक्स्तयाँभी इस आयोजन में सक्म्मभलत हुईं। 53 देशों से आये 150 प्रतततनचध भी इस समारोह में सक्म्मभलत हुए। मुख्य पूजा में 15 यजमान बैठे थे, क्जनमे सभी जाततयों-वगों (भसख, जैन, नवबौद्ध, तनर्ाद समाज, वाल्मीकक समाज, जनजातत समाज, घुमंतू जाततयाँ आदद) और भारत की सभी ददशाओं (उत्तर, दक्षक्षण, पूव, ष पक्श्चम, उत्तर-पूवष) से आए व्यक्ततयों का प्रतततनचधत्व था। इन सभी की मंच पर ही बैठने की व्यवस्था थी। देश का पोर्णएवं ववकास करने वाले ककसान और मजदरू बंधुओं के साथ सहकाररता और ग्राहक संगठनों के प्रतततनचध भी यहाँउपक्स्थत थे। L&T व टाटा समूह के अचधकारी, अभभयंता और श्रभमक भी यहाँउपक्स्थत थे। क्जन श्रभमकों ने प्रभुश्री राम के मंददर के तनमाषण को आकार ददया, प्रधान मंत्री जी ने स्वयं उन पर पुष्प-वर्ाष करके उनका अभभनंदन ककया संघ और ववश्व दहदं ूपररर्द के अनेक प्रबंधक कायषकताषओं सेलेकर संघ के पूजनीय सरसंघचालक माननीय श्री मोहन भागवत और भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी इस कायषक्रम की शोभा बढाई। श्री रामलला प्रततक्ष्ठत हुए हैंतो सभी देवी-देवताओं ने भी उपक्स्थत होकर अपना आशीवाषद अवश्य ही ददया होगा।

श्री राम जन्मभूभम तीथष क्षेत्र रस्ट के आग्रह पर जहां ववश्व दहदं ूपररर्द के सैकडों कायषकताष ददन-रात लगे थे, वहीं रस्ट के ही आग्रह पर राष्रीय स्वयंसेवक संघ व अन्य कई स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के अनेक कायषकताष इस आयोजन की व्यवस्था में थे। उनके प्रबंधन के अनुभव का लाभ सूक्ष्म दृक्ष्ट से व्यवस्था के चचतं न में हुआ। क्जसका अनुभव वहाँआए प्रत्येक रामभतत को हो रहा था। चाहे स्वागत हो, चाहे बैटरी चाभलत वाहन, चाहे व्हील चेयर की व्यवस्था हो, चाहे पदवेश उतारने की व्यवस्था। सभी के जूते स्वयमसेवी संस्था के प्रमुख लोग अपने हाथों से उतार कर रख रहे थेऔर लौटने पर पहना भी रहे थे। लघुशंकलयों के बाहर भी चप्पलों की व्यवस्था थी। सभी कुछ सूक्ष्म चचतं न करके तैयार ककया गया था। अयोध्या के नागररक और प्रशासन भी रस्ट के साथ समन्वय करतेहुए अयोध्या को संवारने में लग गए। अयोध्यावासी सामान्य-जन के भलए यह एक कौतूहल का ववर्य था कक कैसे 4 माह में अयोध्या नगरी का स्वरूप सहसा पररवततषत हो गया। भतत-जन, पूज्य साधुसंत और अनेक महानुभावों की सुरक्षा भी एक महत्वपूणष ववर्य था, जो कक स्थानीय प्रशासन, पुभलस और अन्य सुरक्षा दलों के त्रबना सम्भव नहीं था। उत्तर प्रदेश और अयोध्या पुभलस के सहयोग पूणष, भमत्रवत्व्यवहार से सभी प्रभाववत हुए। उसी का पररणाम था कक इतना बडा कायष सरलता से तनववषघ्न व यशक्श्वता के साथ सम्पन्न हुआ। सभी के साथ प्रभुश्री राम का आशीवाषद तो था ही।

तीन ददनों में अयोध्या में त्रबना ककसी राजनैततक या व्यावसातयक आयोजन के 71 तनजी ववमान गततमान हुए। लखनऊ तथा अयोध्या के ववमानतल एवं लखनऊ, अयोध्या, काशी, गोरखपुर, गोंडा, सुल्तानपुर, प्रयागराज आदद रेलस्टेशनों पर केसररया पटके के साथ स्वागत एवं यातायात की पूणष व्यवस्था की गयी। ववभभन्न उपक्स्थत लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, सभी के भलए आवास व्यवस्था सावधानीपूवषक तैयार की गई थी। टेंट भसटी, होटेल, आश्रम, धमषशाला सदहत कुछ ववद्यालयों तथा 200 स्थानीय पररवारों में रुकने की व्यवस्था की गयी थी। सम्पूणष अयोध्या ‘राम आएँगे’ गीत की ध्वतन से गुंजायमान थी। अयोध्या की गभलयों में सांस्कृततक कायषक्रमों का आनंद देर रात्रत्र तक सभी ने भलया।

भारत का इततहास साक्षी है कक यह स्वयं में ऐसा एक ही कायषक्रम था जहां इस स्तर के व्यक्तत 4-5 घंटों तक सामान्य कुभसषयों पर बैठे। भारत के पूवष प्रधानमंत्री श्री देवेगौडा जी वहाँ4 घंटे व्हील-चेयर पर बैठे। ना तो वहाँ ककसी के सहयोगी थे, ना ही सुरक्षाकमी। प्रसाद स्वरूप सभी को जल सेवा एवं जलपान अपनी कुभसषयों पर ही ददया गया। प्रभुश्री राम के घर में सभी जाततयाँ, सभी वगष, सभी क्षेत्र, एक समान थे, एक साथ थे। सभी ने अपने औहदे, अपनी सामाक्जक-आचथषक महत्ता से ऊपर उठकर अयोध्या के सादगी-पूणष आततथ्य को सहृदय स्वीकार ककया।

भारत के हर नगर, हर गाँव में सभी प्रभुश्री राम के शुभागमन हेतुआतुर थे। सम्पूणष भारत का हर गाँव, हर मोहल्ला, हर मंददर अयोध्या बन गया था। जो अयोध्या नहीं आ पाए, उन्होंनेस्थानीय मंददरों में पूजन ककया, रात्रत्र में दीपोत्सव मनाया। सभी का मन एवं आत्मा उस ददन अयोध्या में ही थे। श्री रामलला के स्वागत हेतुअयोध्या नगरी एवं मंददर पररसर को भी असंख्य क्तवंटल पुष्पों से सुसक्ज्जत ककया गया, भारत के सभी प्रांतों के परम्परागत वाद्यवादक, 30 से अचधक कलाकारों ने वातावरण को राम-गीतों से संगीतमय कर ददया और आरती के समय सहस्रों पीतल की घंदटयों से मंददर पररसर गुंजायमान हो उठा। रामलला के अवतरण के साथ ही, हेभलकॉप्टर द्वारा मंददर पररसर पर की गयी पुष्प वर्ाष से लग रहा था मानों सम्पूणष देवलोक प्रसन्ना होकर पुष्प-वर्ाष कर रहा है। यह आयोजन एक समारोह मात्र के स्तर से ऊपर उठ गया था, यह एक दैवीय अनुभूतत, एक आध्याक्त्मक यात्रा में पररवतततष हो चुका था। लोग भाव ववभोर थे, वातावरण ददव्य लोक के समान एक अलौककक आभा से आच्छाददत हो गया। कुछ श्रद्धालुओं की आँखो में आँसूथे, कुछ नत्ृय-लीन थे। कोई स्वगष की अनुभूतत कर रहा था, कोई त्रेता युग की। सभी के भलए श्री राम पुनः लंका से अयोध्या लौट रहे थे। अगले ददन तो प्रातः 3 बजे से ही श्रद्धलुओं ने श्री रामलला के दशषन हेतुपंक्तत-बद्ध होना प्रारम्भ कर ददया था। 23 जनवरी को लगभग 5 लाख लोगों ने उत्साह और पूणष अनुशासन के साथ श्री रामलला के ददव्य दशषन ककए।

अयोध्या के इस दैवी आयोजन ने जातत, वगष, भार्ा, प्रांत, मत-पंथ की सीमाओं को पार करते हुए, परंपरा से ओत-प्रोत, किर भी प्रगतत को गले लगाते हुए, एक राष्र की सामूदहक चेतना का जागरण ककया। प्रभुश्री राम की चचर-ववरासत का एक प्रमाण, जो ववश्व भर मेंकरोडों लोगों को प्रेररत और एकजुट करता है, यह आयोजन; एकता, अखंडता, समरसता और श्रद्धा के ‘रामोत्सव’ के रूप में युगों-युगों तक जीववत रहेगा। अब समय आ गया है कक हम प्रभुश्रीराम का स्मरण कर, भारत को सुखी, संपन्न, स्वस्थ, समथष और सम्मातनत राष्र के रूप में स्थावपत करने का संकल्प लें। भारत को ‘ववश्व-गुरु’ के रूप में स्थावपत करें।

जय श्री राम!

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